पति स्त्री की एकमात्र और अंतिम आशा है । दुनिया के किसी सम्बन्ध से उसे कोई सारोकार नहीं , सिर्फ एक व्यक्ति की खातिर वह अपना सब कुछ छोड़कर खुद को मिटाकर पति के घर को बसाने आती है । जब पति ही भावना न समझे , तिरस्कार करे तो यहाँ आकर स्त्री का आत्मबल कंपित हो जाता है ।


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