अनसुना ख्याल ☺ कुछ रिश्ते ख़त्म नहीं होते , बस चुप हो जाते हैं एक ऐसी चुप्पी जो दोनों को अंदर ही अंदर बर्बाद कर रही होती है , तबाह कर रही होती है लेकिन इसी तबाही में एक छुपा हुआ गुस्सा होता है , नाराजगी होती है , एक अनजाना विरोधाभास होता है जो हर बार आपको रोक लेता है .... हर शाम आप उसे "I miss you" कहना चाहते हैं, हर रात आप उसे "I still love you" कहना चाहते हैं लेकिन आप अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट भी नहीं खो सकते , क्योंकि कोशिशें तो आपने भरपूर की थी रिश्ते को संजोने के लिए और सारी आपकी कोशिशें नाकाफी साबित होती हैं एक बार के लिए आप सोचते हैं कि एक आखिरी कोशिश करने में क्या जाता है लेकिन ये एक अंतर्द्वंद होता है दिल और दिमाग के बीच , आप खुद में ही एक लड़ाई लड़ रहे होते हैं जहाँ जीते कोई भी हारना आपको ही होता है , और ये जंग सिर्फ आपके अंतर्मन में नहीं बल्कि मैसेज बॉक्स के सेंड बटन और आपकी सेल्फ रिस्पेक्ट के बीच भी चल रही होती है , फिर कहीं जाकर एक लम्हा ऐसा आता है जहाँ आप बस अपने टाइप किये गए मैसेज को भेजने के लिए हाथ आगे बढ़ा लेते हैं और ठीक यही वो पल होता है जहाँ आपको महसूस होता है कि अगर फिर पहल करके आज सब ठीक हो गया तो कल आप उनसे तो आँखें मिला लेंगे पर सुबह उठकर जब आईने के सामने खुद का अक्स देखने की कोशिश करेंगे तो खुद से नजरें कैसे मिला पाएंगे , कैसे दोस्तों को उनके रिलेशनशिप प्रॉब्लम में सर उठाकर हड़का पाएंगे , कैसे दूसरों को आत्मसम्मान के मायने समझा पाएंगे...फिर खुद को मजबूत कर आप लिखा हुआ पूरा मैसेज डिलीट करते हैं , खुद को जीता हुआ महसूस करते हैं और महसूस होता है खुद के लिए खुद की नजरों में ही बढे हुए सम्मान को लेकिन साथ ही कहीं दूर मन की गहराई में बढ़ती है आपकी बेबसी और एक खामोश नफरत ... और यही पर आप फिर हार जाते हैं..... आप सोचते हैं हर बार जीत कर भी हार जाना शायद यही प्यार है ।। ********************************************* *********** 5 साल बाद की एक खुशनुमा सुबह में आप अपनी "the better half" के साथ अपनी बालकॉनी में बैठे चाय पी रहे हैं और अचानक हवा के झोंखे के साथ एक ख्याल आपके मन से टकराता है आप सोचते हैं कि "जब आपको लगता रहा कि हर बार आप किसी और लिए खुद से हारते रहे हैं तो वास्तव में आप हारे नहीं थे , आप कभी नहीं हारे थे , आप हार ही नहीं सकते थे क्योंकि जाने अनजाने ही सही आपने अपने आत्मसम्मान को चुना था , अपनी पहचान को चुना था किसी गलत इंसान के साथ गलत रिश्ते में रहकर भी आखिर में आप सही रहे" , चाय पीते पीते आप सोच रहे हैं कि गलत शायद वो इंसान भी नहीं था बस आप एक दूसरे के लिए सही नहीं बन पाए , किसी भी रिश्ते में सबसे ज्यादा जरुरी एक दूसरे का सम्मान करना होता है और जिस रिश्ते में किसी एक को आत्मसम्मान से समझौता करना पड़े वो रिश्ता आपके लायक नहीं है" अपनी सोचों में गुम आपकी तंद्रा टूटती है और आप अपनी हमसफ़र को देखते हैं जो आपके सामने बैठी है आपके हर सुख दुख की साथी , आपकी जीवनसंगिनी .. वो आपकी तरफ देखती है और आपके होंठों पर बरबस ही एक मुस्कान आ जाती है वो आपके इस तरह देखने से शर्मा जाती है और माहौल में अचानक आये इस बदलाव को सामान्य करने के लिए मुस्कराकर पूछती है "आप कुछ और लेंगे" .... आपकी मुस्कान और रहस्यमय हो जाती है और आप अपनी एक आँख झपका देते 😉
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