=> हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता,, "रब" ने. नवाजा हमें. जिंदगी. देकर; और. हम. "शौहरत" मांगते रह गये; जिंदगी गुजार दी शौहरत. के पीछे; फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये। ये कफन , ये. जनाज़े, ये "कब्र" सिर्फ. बातें हैं. मेरे दोस्त,,, वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद करने वाला कोई ना. हो...!! ये समंदर भी. तेरी तरह. खुदगर्ज़ निकला, ज़िंदा. थे. तो. तैरने. न. दिया. और मर. गए तो डूबने. न. दिया . . क्या. बात करे इस दुनिया. की "हर. शख्स. के अपने. अफसाने. हे" जो सामने. हे. उसे लोग. बुरा कहते. हे, जिसको. देखा. नहीं उसे सब "खुदा". कहते. है....
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