बड़ी मुश्किल से मिटाई थी ये तन्हाईयां हमने...दोस्तों, मगर आज भी उसी अंधेरे में जाने लगे हैं... आज फिर तुम पुकार लो मुझको... के हम अब अश्क बहाने लगे।


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