बड़े अच्छे लगते हैं ये धरती, ये नदिया, ये रैना और तुम हम तुम कितने पास हैं, कितने दूर हैं चाँद सितारे सच पूछो तो मन को झूठे लगते हैं ये सारे मगर सच्चे लगते हैं, ये धरती.. .. .. तुम इन सब को छोड़ के कैसे कल सुबह जाओगी मेरे साथ इन्हें भी तो तुम याद बहोत आओगी बड़े अच्छे लगते हैं .. .. ..


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