आरज़ू थी कि एक लम्हा जी लूँ तेरे कन्धे पे सर रख के... मग़र ख्वाब तो ख्वाब हैं, पूरे कब होते हैं...

from My luck but not with me http://ift.tt/1Kv0nGW
via IFTTT

Comments