ये ख़यालों की बदहवासी है, या तेरे नाम की उदासी है . अश्क़ चेहरे के मरुस्थल में हैं , आँख पानी के घर में प्यासी है . आइने के लिए तो पुतलीं हैं , एक क़ाबा है एक काशी है . तुमने हमको तबाह कर डाला , बात होने को ये ज़रा सी है..!
from My luck but not with me http://ift.tt/1Kv0nGW
via IFTTT
via IFTTT
Comments
Post a Comment