" 'हमसे' 'मुकम्मल' हुई ना 'कभी'... 'ए- जिन्दगी' ....'तालीम' तेरी 'शागिर्द' कभी 'हम' 'बन' न सके और 'उस्ताद' तूने 'बनने' ना दिया "

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