आँखों में जल रहा है क्यूँ बुझता नहीं धुआँ, उठता तो है घटा-सा बरसता नहीं धुआँ .... आँखों के पोंछने से लगा आँच का पता, यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ .....


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