सुनो,हिन्दी मे बात करने पर 10 रूपए फाइन लेने वाले अंग्रेजी के मास्साब, आज हिंदी दिवस है तो हम भी अपनी बात हिंदी मे कह ही दे। हमको हमेशा से पता था कि फाइन के वो रूपये कहां जाते है। गुप्ता मैडम के सामने अपना रूतबा बनाने के लिए फाइन के पैसे से खूब चाय समोसे चलते थे स्टाफ रूम मे। अब ये मत कहना कि झूठ है ये। हमको ये सब छोटे ने खुद बताया। हम ये भी जानते है कि हम बच्चो के पैसो से खिलाए गए वो चाय समोसा भी किसी काम ना आए। कुछ समय बाद ही गुप्ता मैडम ने शादी कर ली और आपकी उम्मीद की चाय किसी और के प्याले मे उड़ेल दी गयी थी। ना जाने कितनी ही बार हम कुटे और क्लास से बाहर किये गये हिंदी मे बात करने की वजह से, पर मजाल थी कि हमने अंग्रेजी मे कभी बात की हो। ऐसा भी मत समझना कि अंग्रेजी से हमारी कुछ व्यक्तिगत तौर पर अनबन थी या हमको अंग्रेज़ी आती नही थी। अंग्रेज़ी मे हम हमेशा 100 मे से 75-80 नम्बर लेते थे। हमारे ऐसा करने के पीछे भी एक कारण था और वो कारण थी क्लास 10 ब की सलोनी। जब हमारे क्लास मे अंग्रेजी का घंटा होता था तब उसकी क्लास मे खेल का घंटा चलता था। आपको 10 रूपए ठिका के हम सीधे खेल के मैदान मे ही रूकते थे। बता नही सकते कि कितना अच्छा लगता था उसको वहां हंसी-मजाक करते हुए देखना। कुछ दिनो बाद ही उसने हमको नोटिस करना शुरु कर दिया था। हम अपने यारो से तो बहुत बार कह चुके है, आज आपसे भी कह रहे है कि हमारी प्रेम कहानी मे आपने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। बस, अंत मे यही कहना चाहता हूँ कि आशिर्वाद दे मुझे, जहां मै आपका शिष्य था, उसी जगह अब मै अंग्रेज़ी का अध्यापक बन कर जा रहा हूँ, और क्योंकि मेरी 10 ब वाली हमसफ़र साथ है मेरे तो मै हिंदी मे बात करने पर 10 रूपए का जुर्माना नही लूंगा । ले भी लिए तो क्या करूँगा उनका, किसी गुप्ता मैडम के सामने रूतबा बना रहा हूँ, ये खबरें 10ब वाली को पता चली तो जीवन भर का जुर्माना भरना पड़ेगा मुझे। (काल्पनिक) #नित्या
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