इश्क के बादल आए फिजा सुहानी हो गई , बारिश की बुँदे दर्द की निशानी हो गई , जाने क्यों खामोश थे लोग उस जशन मे , मगर प्याला भरते ही महफ़िल दीवानी हो गई , अनजान थे उसके हुशन की लिखावट से , जो अब शायर के लब्जो की बयानी हो गई , खुदा अब मुझे भी नवाजो मौत से , मेरी काया हकीकत मे पुरानी हो गई , दौलत से मोह नही था मुझे बादशाहो की , सुखी रोटी मिली तो मेहरबानी हो गई , चाहे कोई मिसाल दे या ना दे मेरी जिंदगी की , मगर ये जीत मेरे संघर्षो की कहानी हो गई ।

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